पत्रिका के बारे में / About the magazine
घुड़सवार / Ghudsavar --- वह जो घोड़े पर सवार हो, अश्वारोही, horse rider, horseman/horsewoman, cavalier
इस पत्रिका के पीछे समय देने की चेष्टा बस इतनी ही है कि हिंदी पाठकों के लिए नए आयाम खुलें, और सपना बस इतना कि हिंदी साहित्य की विश्व में वही पहचान हो जो अंग्रेजी, फ्रांसीसी, रूसी, जापानी वगैरह साहित्य की है।
मुझे उम्मीद है कि हिंदी में साहित्यिक पत्रिकाओं की त्रुटि को यह पत्रिका कुछ हद तक पूरी कर सकेगी। यही नहीं, मैं हिंदी में उच्च कोटि के साहित्य की कमी महसूस करता हूँ - इस कमी का और अधिक आभास होने लगता है जब कविता की बात आती है। भारत एक अत्यंत रोचक और ख़ूबसूरत मुल्क है - लेकिन इसकी कहानियां इसकी फ़िल्मों में तो दिख जाती हैं, लेकिन इसके साहित्य में उपदेश, व्यंग्य और शब्दों के आडम्बर में दब के रह गयीं हैं कहीं। हाँ, यह ज़रूर हो सकता है, कि मैं ग़लत और अज्ञानी हूँ - हालांकि हिंदी मेरी मातृभाषा है, मैं स्वयं अंग्रेजी भाषा में लिखता हूँ, और भारत से बहार के साहित्य को बेहतर जानता हूँ। इसलिए, अगर मेरा कथन अगर अनुचित हो भी, तब भी बुरा नहीं मानिये - मेरा प्रयास यही है कि यह पत्रिका हिंदी एवं दक्षिण एशिया से लगते अंग्रेजी साहित्य में कुछ इज़ाफ़ा कर सके।
भविष्य में, अगर पत्रिका लोकप्रिय हो पाती है, मैं प्रिंट के भी कुछ विशेष अंक चुनिंदा कविताओं और कहानियों के साथ निकाल सकता हूँ। अभी के लिए, यह पत्रिका मुख्यतः कविताओं के लिए है, इस पत्रिका के अंक केवल ऑनलाइन हैं और साल में तीन होंगे (अगस्त, दिसंबर, अप्रिल)। हर अंक में १०-२० कविताओं तक का चयन हो सकेगा।
A primary objective behind this endeavour is to open up the Hindi literature space and address a severe lack of literary magazines in Hindi space. At the same time, by focusing on South Asia, the magazine also hopes to discover fine writers who ply their trade in English. The English-language section is not restricted to South Asia but is open to poets from all over the world. I personally write in English, even though Hindi is my mother tongue.
In the future, if the magazine attains some modicum of popularity, I could consider some print issues with selected poems and even stories. For now, this magazine is primarily for poems, its issues are published online only and there will be three issues in the year (August, December, April). In each issue, I aim to select 10-20 poems for publication.