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संपादक की ओर से

घुड़सवार के तीसरे अंक में आपका स्वागत है !


यह अंक इस बात के लिए उल्लेखनीय रहा कि इस बार हिंदी में भी बहुत सारी कविताओं की प्राप्ति हुई। इससे मुझे जितने हर्ष की अनुभूति हुई, शायद आपको बताना मुश्किल पड़ेगा। इस का नतीज़ा यह कि इस अंक में हिंदी एवं अंग्रेज़ी की कविताओं का बराबर तोल है - ऐसा पहली बार हुआ है। अंग्रेज़ी में प्राप्त कविताओं की भी गुणवत्ता ने मुझे बेहद प्रसन्न किया है, और अब बिना ज़्यादा टालम-टोल किये, लीजिये अंक प्रस्तुत है। पाठकों से प्रार्थना है कि अपने सुझाव, टिप्पणियां एवं सराहना पत्रिका के ईमेल पर भेजते रहें। 


सादर प्रणाम,


अंकुर वि. अग्रवाल 

संपादक, घुड़सवार साहित्यिक पत्रिका 


अप्रैल २०२४, लिल्लेस्त्र्यम, नॉर्वे


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