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अभ्युदय आर. के.

एक विद्यार्थी जो कभी-कभी कुछ भावनाओं को कागज़ पर उकेरने का प्रयास करता है।

मुझे नहीं मालूम

कुछ तो है मुझमें, जो मुझे नहीं मालूम।

क्या था क्या बन गया, मुझे नहीं मालूम।

कौन है कितना करीब, मुझे नहीं मालूम।

अच्छा हूं या बुरा हूं, मुझे नहीं मालूम।

एक आईने में, एक उसके बाहर

कौन सच, कौन छवि मुझे नहीं मालूम।

 

किसको खोया, किसको पाया मुझे नहीं मालूम।

क्या दर्द, क्यों तकलीफ़ मुझे नहीं मालूम।

कौन अपना, कौन पराया मुझे नहीं मालूम।

कैसे हुआ, क्यूं हुआ मुझे नहीं मालूम।

उसने दिए वो ज़ख्म है या नासूर, मुझे नहीं मालूम।

क्या चाहिए क्या नहीं, मुझे नहीं मालूम।

पाना है ख़ुद को कैसे मुझे नहीं मालूम।

 

वो काली रात, वो भारी बरसात 

वो ग़म की बात, वो छूटता तेरा साथ

सब है मालूम, पर फिर भी मुझे नहीं मालूम।

 

बहुत कुछ है मालूम, पर क्या है! मुझे नहीं मालूम।

।।मुझे नहीं मालूम।। मुझे नहीं मालूम।।

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