शिवालिका अग्रवाल
शिवालिका अग्रवाल वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की, रूड़की, उत्तराखण्ड के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग में अंग्रेजी साहित्य में शोध कर रही हैं। शिवालिका ने अंग्रेजी साहित्य में ही स्नातक दिल्ली विश्वविद्यालय एवं परास्नातक इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से किया है।
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आखिर मैं खुद को ढूँढूँ कहाँ
कहाँ है वो जगह जहाँ मैं ख़ुद को ढूँढ सकूं
मेरे घर के चार कोनों पर कब्ज़ा अपनों का है
तो बाहरी दुनिया पर पहरा नकाबों का है
वो आसमान भी तो तारों से घिरा नज़र आता है
वर्ना सूरज है जो मुझे जलाता है
ये ज़मीन भी बड़ी दगाबाज़ है
जाकर पानी से यूँ मिलती है, जैसी उसकी राज़दार है
मछलियां पानी में रहने भी नहीं देंगी
आवाज़ें शहर में जीने भी नहीं देंगी
तो आखिर मैं खुद को ढूँढूँ कहाँ ?