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शिवालिका अग्रवाल

शिवालिका अग्रवाल वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की,  रूड़की, उत्तराखण्ड के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग में अंग्रेजी साहित्य में शोध कर रही हैं। शिवालिका ने अंग्रेजी साहित्य में  ही स्नातक दिल्ली विश्वविद्यालय एवं परास्नातक  इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से किया है। 

 

उनसे जुड़ने के लिये मेल करें – agarwal.shivalika200@gmail.com

ट्विटर - @ShivalikaAgarw2

इन्स्टाग्राम – @shivalikaagarwal

आखिर मैं खुद को ढूँढूँ कहाँ

कहाँ है वो जगह जहाँ मैं ख़ुद को ढूँढ सकूं

मेरे घर के चार कोनों पर कब्ज़ा अपनों का है

तो बाहरी दुनिया पर पहरा नकाबों का है

वो आसमान भी तो तारों से घिरा नज़र आता है

वर्ना सूरज है जो मुझे जलाता है

 

ये ज़मीन भी बड़ी दगाबाज़ है

जाकर पानी से यूँ मिलती है, जैसी उसकी राज़दार है

 

मछलियां पानी में रहने भी नहीं देंगी

आवाज़ें शहर में जीने भी नहीं देंगी

 

तो आखिर मैं खुद को ढूँढूँ कहाँ ?

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